पूर्वांचल में कांग्रेस को झटके पर झटका, सिराज मेहंदी का इस्तीफा, राजेश मिश्रा को नया पद स्वीकार नहीं

 


पूर्वांचल में कांग्रेस को झटके पर झटका, सिराज मेहंदी का इस्तीफा, राजेश मिश्रा को नया पद स्वीकार नहीं


 


देश और प्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में रही कांग्रेस जब यूपी में अपने पैरों पर खड़े होने के लिए जूझ रही है, उसे झटके पर झटका लग रहा है। ताजा झटका पूर्वांचल के दो अहम जिलों वाराणसी और जौनपुर से लगा है। झटका देने वाले दोनों नेता पिछले हफ्ते तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष थे। नई समिति में पहले से कमतर जिम्मेदारियां मिलीं तो दर्द छलक गया। 


पहले बात जौनपुर की करते हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे पूर्व एमएलसी हाजी सिराज मेंहदी ने कांग्रेस के सभी पदों से बुधवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है। इस्तीफे में कहा है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में किसी भी शिया समुदाय के व्यक्ति को नहीं लिया गया है। यही हाल कांग्रेस की राष्ट्रीय कमेटी का है। जबकि भाजपा ने केंद्र में मुख्तार अब्बास नकवी को मंत्री तथा गैरुल हसन रिजवी को अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बनाया है। उत्तर प्रदेश में मोहसिन रजा को मंत्री एवं बुक्कल नवाब को एमएलसी बनाया है। यह सभी शिया समुदाय से हैं। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि लोकसभा चुनाव में लखनऊ में आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे। उन्हें शियों ने ललकार कर  वोट दिया। अब शिया समुदाय सवाल कर रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने शियो को क्या दिया?


वहीं, वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने नई जिम्मेदारी से खुद को मुक्त करने का आग्रह पार्टी से किया है। राजेश मिश्रा अभी तक कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष थे। पिछले दिनों नवगठित प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उन्हें उपाध्यक्ष पद से हटाकर सलाहकार परिषद में सदस्य नियुक्त किया गया था। यह पद उन्हें रास नहीं आया। राजेश मिश्रा ने कहा कि ‌उनकी इतनी हैसियत नहीं है कि वह पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को सलाह दें। उन्होंने अपने फैसले  की जानकारी पार्टी सचिव जुबेर खान को दे दी है। साथ में यह भी दोहराया कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उनकी नेता हैं। वह पार्टी के लिए जो भी आदेश देंगे उसके लिए कार्य करेंगे।