वाराणसीः पीएसी भर्ती घोटाले में किया गया लंबा खेल, कई बड़े नाम आने अभी बाकी
पीएसी आरक्षी भर्ती के लिए री मेडिकल टेस्ट में रिश्वत लेकर पास कराने का भंडाफोड़ होने के बाद चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। इनमें एक यह भी है कि अगस्त में मेडिकल पैनल का जब गठन हुआ तब एक डॉक्टर का नाम हटाकर जिला अस्पताल के डॉ. शिवेश जायसवाल ने खुद का नाम शामिल कराया। इसी बीच डॉ. शिवेश के अपार्टमेंट की लिफ्ट में एक बच्चे की मौत के कारण ठीक री-मेडिकल वाले दिन उनकी गिरफ्तारी हो गई। तब उसे पैनल से हटा तो दिया गया लेकिन खेल जारी रहा।
आरक्षियों के री-मेडिकल टेस्ट के लिए अपर निदेशक स्वास्थ्य ने संयुक्त निदेशक की निगरानी में चार सदस्यीय पैनल का गठन किया था। इसमें डॉ. एसके पांडेय के अलावा हड्डी के डॉक्टर डॉ. संतोष झुनझुनवाला और कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल के एक सर्जन डॉ. रवि का नाम था। डॉ. रवि का नाम हटाकर डॉ. शिवेश का नाम डाल दिया गया। कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक इसके लिए संशोधित ई-मेल आया।
सूत्रों का कहना है कि पैनल में डॉ. शिवेश ने जानबूझकर खुद का नाम जोड़वाया। 28 से 30 अगस्त मेडिकल परीक्षण होना था। उसके एक दिन पहले 27 अगस्त को डॉ. शिवेश के अपार्टमेंट की लिफ्ट में फंसने से 10 साल के एक बच्चे की मौत हुई थी। यह प्रकरण सामने आने के बाद डॉ. शिवेश जायसवाल 28 की भोर में गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद पैनल से डॉ. शिवेश जायसवाल का नाम हटाकर डॉ. प्रेमप्रकाश को रख दिया गया।
इस संबंध में अपर निदेशक बीएन सिंह का कहना है कि सर्जन की कमी थी, इस कारण शुरुआती पैनल में डॉ. शिवेश का नाम पैनल में डाला गया। पैनल पर निगरानी के लिए संयुक्त निदेशक जीसी द्विवेदी और रामनगर पीएसी में सीओ रैंक के अधिकारी आरपी यादव भी थे।
पहले से तय हो रही थी आवेदकों से रकम
सीओ कैंट मो. मुश्ताक ने बताया कि 28 अगस्त को गिरफ्तारी के पहले ही डॉ. शिवेश व अन्य आरोपित आवेदकों के संपर्क में थे। उनके कॉल डिटेल खंगाले जाने पर इसका खुलासा हुआ है।
रिश्वत के लिए बदनाम रहा है डॉ. शिवेश
एक रामनगर, फिर कबीरचौरा और इसके बाद जिला अस्पताल में तैनाती के दौरान डॉ. शिवेश जायसवाल रिश्वत के लिए बदनाम रहा है। उस पर ऑपरेशन के नाम पर आठ से 10 हजार रुपये मांगने के कई बार आरोप लगे।
पांच साल पहले बीएचयू से पास हुआ है डॉ. पांडेय
वाराणसी। रिश्वत प्रकरण में शनिवार को गिरफ्तार डॉ. एसके पांडेय पांच साल पहले ही बीएचयू से पास आउट है। साल 2014 में बीएचयू से निकलने के बाद वह सरकारी सेवा में आया।
ऐसे खुला भ्रष्टाचार
इसी वर्ष 27 अगस्त को डॉ. शिवेश जायसवाल के टकटकपुर स्थित महावीर अपार्टमेंट की लिफ्ट में बच्चे की संदिग्ध हाल में मौत हो गई थी। फिरोजाबाद निवासी 10 वर्षीय बच्चा डॉक्टर के घर में काम करता था। घटना के बाद डॉक्टर ने बिना पुलिस को बताए शव गंगा में प्रवाहित कर दिया था। मामले में पुलिस ने खुद मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी। डॉक्टर के मोबाइल और कॉल डिटेल की जांच के दौरान पीएसी भर्ती के मेडिकल जांच में पास कराने के एवज में पैसे के लेन-देन का मामला सामने आया। इसके बाद मेडिकल जांच की पत्रावलियों की भी पड़ताल की गई। इससे पूरा मामला खुला।
सामने आएंगे और बड़े नाम, पास अभ्यर्थियों की भी जांच
इस पूरे प्रकरण के पीछे एक बड़े रैकेट की बात सामने आ रही है। जांच चल रही है। इसमें बड़े लोगों के भी नाम सामने आ सकते हैं। मेडिकल बोर्ड के गठन की प्रक्रिया की भी जांच होगी। अभ्यर्थियों की भर्ती भी अब जांच के घेरे में आ गई है। इस बारे में संबंधित वाहिनियों को जल्द पत्र लिखा जाएगा।
विभागीय जांच भी होगी
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह ने बताया कि प्रकरण में जिन दो डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं, उनमें डॉ. शिवेश जायसवाल पहले से निलंबित चल रहे हैं। वह बच्चे की मौत के प्रकरण के बाद से निलंबित हैं। सर्जन एसके पांडेय की भूमिका की भी विभागीय जांच होगी।
278 आरक्षियों का दोबारा परीक्षण हुआ
वाराणसी। पीएसी आरक्षी भर्ती में 278 अभ्यर्थियों का दोबारा स्वास्थ्य परीक्षण हुआ था। इनमें सबसे अधिक 185 आरक्षी 36वीं बटालियन पीएसी रामनगर पीएसी में भर्ती हुए। रिश्वत लेकर री-मेडिकल टेस्ट में पास कराने के आरोपितों में रामनगर पीएसी का आरक्षी रमेश सिंह भी है, जो फरार है।
प्रभारी कमांडेंट राकेश सिंह ने बताया कि पूरे प्रकरण की जानकारी देते हुए डीआईजी को पत्र लिखा गया है। वहां से निर्देश मिलने के बाद जांच होगी। दोषी पाये जाने पर रमेश सिंह के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की जायेगी। साथ ही उन आरक्षियों की भी जांच होगी जिनकी भर्ती री-मेडिकल के जरिये हुई है। उधर भुल्लनपुर पीएसी में भी करीब 50 की संख्या में ऐसे आरक्षियों की भर्ती की बात सामने आ रही है। हालांकि वहां कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।